जगन्नाथपुरी:
ओडिशा की धरोहर और भक्ति का केंद्र भारतीय संस्कृति में मन्दिरों का अद्वितीय स्थान है। इन मन्दिरों में भगवान की भक्ति के लिए लाखों लोग आते हैं और इन्हें अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। एक ऐसा ही महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध मन्दिर है जगन्नाथपुरी, ओडिशा में। यहाँ हम जानेंगे कि जगन्नाथपुरी का इतिहास, महत्व और धार्मिक महत्व क्या है।
इतिहास:
जगन्नाथपुरी का महत्वपूर्ण इतिहास भारतीय साहित्य और पौराणिक कथाओं में प्राप्त है। यहाँ का मुख्य मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है, जिन्हें यहाँ की राजधानी पुरी में दर्शन करने का अत्यधिक लाभ माना जाता है। मन्दिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था और इसे किंग अनंगभिम द्वारा बनवाया गया था। महत्व: जगन्नाथपुरी को चार धामों में से एक माना जाता है, जिसमें चारों दिशाओं से आने वाले भक्तों के लिए विशेष महत्व है। यहाँ की रथयात्रा देश-विदेश से आए लाखों लोगों की भक्ति का केंद्र बन गई है और इसे भारतीय साहित्य और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
धार्मिक महत्व:
जगन्नाथपुरी में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा है, जिन्हें ‘बड़ा ठाकुर’ के रूप में भी जाना जाता है। इनकी पूजा और भक्ति को बहुत महत्व दिया जाता है और यहाँ के भक्त इन्हें अपने गुरु और साथी के रूप में मानते हैं।
जगन्नाथपुरी, ओडिशा में घूमने के प्रमुख स्थल/Top Places to Visit in Jagannath Puri, Odisha
जगन्नाथ मंदिर:
जगन्नाथ मंदिर पुरी का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मंदिर है जो भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। यहाँ के रथयात्रा कार्यक्रम के दौरान देवी-देवताओं को रथों पर ले जाया जाता है।
गुंडीचा मंदिर:
गुंडीचा मंदिर भगवान जगन्नाथ के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है जहाँ रथयात्रा प्रक्रिया का आगत स्थल है। इसे भगवान का अवतरण स्थल माना जाता है।
पुरी बीच:
पुरी बीच पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय स्थल है जहाँ सूर्योदय और सूर्यास्त का अद्वितीय दृश्य देखा जा सकता है। यहाँ आनंद उठाने और समुद्र की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने के लिए एक आदर्श स्थल है।
चिल्का झील:
पुरी के आसपास स्थित चिल्का झील एशिया की सबसे बड़ी खारी पानी की झील है और पक्षी दर्शकों के लिए एक स्वर्ग है। यहाँ पर्यटक बोट यात्राएं का आनंद ले सकते हैं।
कोणार्क सूर्य मंदिर:
कोणार्क सूर्य मंदिर, एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, पुरी से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अपनी जटिल पत्थर कार्विंग और मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
मर्कंडेश्वर मंदिर:
यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसकी अद्वितीय वास्तुशिल्पीय शैली के लिए जाना जाता है। यहाँ इतिहास और वास्तुकला प्रेमियों के लिए एक अनिवार्य दर्शनीय स्थल है।
रघुराजपुर कलाकार गाँव:
पुरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रघुराजपुर एक पारंपरिक कलाकार गाँव है जो पटचित्र चित्रकारी और गोतिपुआ नृत्य प्रदर्शनों के लिए प्रसिद्ध है।
सुदर्शन कला संग्रहालय:
यह संग्रहालय पारंपरिक उड़ीसा के हस्तशिल्प, पेंटिंग्स, और मूर्तियों का एक विस्तृत संग्रह प्रदर्शित करता है। यह उड़ीसा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानने के लिए एक अच्छा स्थान है।